⚡ Red Sea Optical Fiber Damage: कई देशों की इंटरनेट कनेक्टिविटी पर संकट

🌐red Sea में इंटरनेट संकट: ऑप्टिकल फाइबर केबल्स को नुकसान, कई देशों में कनेक्टिविटी पर असर

दुनिया भर में इंटरनेट आज हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे बैंकिंग हो, ऑनलाइन क्लासेज, वीडियो कॉल, या ई-कॉमर्स, हर क्षेत्र इंटरनेट पर ही निर्भर है। लेकिन अब एक बड़ी खबर आई है जिसने ग्लोबल लेवल पर चिंता बढ़ा दी है। RED SEA (लाल सागर) के नीचे बिछी इंटरनेट की ऑप्टिकल फाइबर केबल्स को नुकसान पहुँचने की वजह से कई देशों में इंटरनेट सेवाएँ बाधित हो रही हैं।

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red sea
Image credit :- TOI

क्या है पूरा मामला?

रेड सी के नीचे समुद्र तल पर कई महत्वपूर्ण समुद्री केबल्स बिछी हुई हैं। ये केबल्स एशिया, अफ्रीका और यूरोप को आपस में जोड़ने का काम करती हैं। लेकिन ताजा जानकारी के अनुसार, लगभग 15 में से 4 बड़ी केबल्स को नुकसान पहुँचा है।

इनमें से कुछ केबल्स पूरी तरह कट चुकी हैं और कुछ आंशिक रूप से प्रभावित हुई हैं। यह कटाव या तो समुद्र में जहाज़ों के भारी एंकर की वजह से हुआ है या फिर क्षेत्रीय तनाव और संघर्षों के कारण। हालाँकि अभी तक किसी भी संगठन या देश ने इसकी ज़िम्मेदारी नहीं ली है।

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क्यों है यह इतना अहम?

दुनिया भर में इंटरनेट का ट्रैफिक मुख्य रूप से समुद्री केबल्स के ज़रिये चलता है। RED SEA का यह हिस्सा इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ से गुजरने वाले केबल नेटवर्क से वैश्विक इंटरनेट ट्रैफिक का करीब 17% से ज्यादा हिस्सा जुड़ा हुआ है। यानी अगर यहाँ कोई समस्या आती है तो उसका असर पूरी दुनिया की इंटरनेट सेवाओं पर पड़ना तय है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत, सऊदी अरब, मिस्र, यूरोप के कई हिस्से और अफ्रीका के उत्तरी क्षेत्र इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।

मरम्मत में कितना समय लगेगा?

समुद्री केबल्स की मरम्मत आसान नहीं होती। इसके लिए खास तरह के शिप (Repair Ships) भेजे जाते हैं जिन्हें समुद्र तल पर जाकर केबल को ढूँढना और फिर से जोड़ना पड़ता है।

  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार की समस्या इतनी गंभीर है कि इसकी मरम्मत में कई हफ्ते लग सकते हैं।
  • इसके कारण इंटरनेट स्पीड धीमी रह सकती है और डेटा ट्रांसफर में दिक्कतें जारी रहेंगी।

असर कहाँ-कहाँ पड़ा?

इस समस्या का असर दुनिया के कई देशों पर पड़ रहा है।

  1. भारत – इंटरनेट स्पीड पर हल्का असर, खासकर इंटरनेशनल कॉल्स और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में।
  2. यूरोप – बैंकों और मल्टीनेशनल कंपनियों की डेटा सर्विस धीमी हुई है।
  3. अफ्रीका – कई देशों में इंटरनेट सेवाएँ लगभग ठप जैसी हो गई हैं।
  4. मध्य-पूर्व – इंटरनेट बैंडविड्थ की कमी से ऑनलाइन सर्विसेस प्रभावित।

क्या है असली वजह?

अभी तक स्पष्ट तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि यह नुकसान कैसे हुआ। लेकिन इसके पीछे दो मुख्य वजह मानी जा रही हैं:

  1. समुद्री जहाज़ों के एंकर – जब बड़े-बड़े जहाज़ रेड सी में चलते हैं तो उनके एंकर समुद्र तल में जाकर इन केबल्स को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  2. क्षेत्रीय तनाव और संघर्ष – पिछले कुछ समय से रेड सी के आसपास राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी तनाव बढ़ा है। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह नुकसान जानबूझकर भी कराया गया हो सकता है।

आगे क्या होगा?

  • मरम्मत दल (Repair Teams) पहले ही काम पर लग चुके हैं।
  • इंटरनेट कंपनियाँ डेटा ट्रैफिक को वैकल्पिक रास्तों (Alternate Routes) से मोड़ने की कोशिश कर रही हैं।
  • लेकिन फिर भी, इंटरनेट यूज़र्स को अगले कुछ हफ्तों तक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

भारत पर सीधा असर

भारत दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट यूज़र देशों में से एक है। यहाँ पर बड़ी आईटी कंपनियाँ, कॉल सेंटर और लाखों की संख्या में ऑनलाइन स्टूडेंट्स काम कर रहे हैं।

  • इस घटना के बाद इंटरनेशनल कॉल्स और ग्लोबल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में थोड़ी रुकावट आ सकती है।
  • क्लाउड सर्विसेज और ग्लोबल डेटा शेयरिंग में भी लेटेंसी (धीमापन) महसूस होगी।
  • हालांकि भारतीय इंटरनेट कंपनियाँ बैकअप केबल्स और सैटेलाइट रूट्स का इस्तेमाल कर रही हैं ताकि यूज़र्स पर असर कम से कम हो।

एक्सपर्ट्स की राय

इंटरनेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि हमारी डिजिटल दुनिया कितनी नाजुक है।

  • “इंटरनेट सिर्फ हवा में चलने वाला नेटवर्क नहीं है, बल्कि इसकी रीढ़ समुद्र के नीचे बिछी ये ऑप्टिकल फाइबर केबल्स हैं।”
  • भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ज्यादा सुरक्षित और वैकल्पिक रूट्स तैयार करने होंगे।

नतीजा

रेड सी के नीचे हुई इस घटना ने दुनिया को इंटरनेट की असली नब्ज दिखा दी है। आने वाले हफ्तों में मरम्मत पूरी होने तक कई देशों में इंटरनेट की रफ्तार धीमी रह सकती है। भारत समेत पूरी दुनिया इस समय इस बड़े डिजिटल संकट से गुजर रही है।

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