“PRANYUS: जब साँप बनते थे डर, अब बनते हैं ज्ञान का अवसर!”

परिचय: हमारी धरती पर कुछ नेक काम ऐसे होते हैं, जो सीधे दिल को छू जाते हैं, आत्मा को पवित्र करते हैं। मध्यप्रदेश में एक संस्था ऐसा ही काम कर रही है। PRANYUS (प्रणाम नर्मदा युवा संघ) नाम की ये संस्था।

आदिवासी और ग्रामीण आबादी को सशक्त बना रही है। खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों की दिशा में। अब, एक खास अभियान के माध्यम से। ये जीवन-रक्षक जागरूकता फैला रही है।

2014 में माँ नर्मदा के उत्सव पर ये संगठन बना था। इसके बाद, इसने सर्पदंश (snakebite) को लेकर। विशेष संचाल और बचाव कार्यों की शुरुआत की। आज, ये आदिवासी इलाकों की सुरक्षा में। महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, एक संरक्षक की तरह।

यह सिर्फ़ एक मुहिम नहीं है, मेरे दोस्तो। ये तो जीवन बचाने का संकल्प है। निश्चित रूप से, ये उम्मीदों का नया अध्याय है, मानव सेवा का अनुपम उदाहरण।

PRANYUS

भाग 1: PRANYUS का सर्पदंश जागरूकता अभियान – क्यों है ये मुहिम इतनी खास? जीवन की रक्षा का पवित्र मंत्र!

मैकल पहाड़ियों में, अनुपपुर और डिंडोरी ज़िलों में। हर साल मॉनसून में सर्पदंश के मामले बढ़ते हैं। ये एक गंभीर चुनौती है।

1. समस्या का आकार: प्रति वर्ष लगभग 20 लोगों की। सांपदंश से दुखद मृत्यु होती है। इस त्रासदी को रोकने की जिम्मेदारी। PRANYUS ने उठाई है। ये उनका पवित्र कार्य है।

2. अभियान की शुरुआत: संगठन ने गाँवों में कैंप लगाए। स्कूलों में कार्यशालाएं कीं। वनकर्मी समुदायों में भी कैंप हुए। इनमें snakebite awareness and mitigation पर ध्यान दिया गया।

3. दी जाने वाली जानकारी: कैंप में सांप की पहचान सिखाई जाती है। विषैले और गैर-विषैले के बीच अंतर बताया जाता है। प्राथमिक उपचार (first aid) की जानकारी भी देते हैं। अंधविश्वास तोड़ने पर जोर रहता है। ये ज्ञान का प्रकाश है।

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भाग 2: अमरकंटक में मुख्य कार्यशाला – ज्ञान का प्रकाश फैलाता एक यादगार सत्र! चेतना का जागरण!

PRANYUS का एक अहम कार्यक्रम। अमरकंटक में हुआ। यह ज्ञान का पर्व था।

1. कार्यशाला का आयोजन: अमरकंटक स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में। 23 जुलाई 2025 को कार्यशाला हुई।

2. सहभागी: लगभग कक्षा VI से XII तक के छात्र थे। उनके शिक्षक और स्टाफ भी मौजूद थे। सबने उत्साह से भाग लिया। सीखने की ललक उनमें थी।

3. प्रस्तुति देने वाले: PRANYUS के प्रमुख डॉ. विकास सिंह चंदेल थे। स्वयंसेवक शिव कुमार भी साथ थे। अमरकंटक निवासी वरुण उपाध्याय (snake guard) भी मौजूद थे।

4. प्रस्तुति का तरीका: बच्चों को सांपों की तस्वीरें दिखाई गईं। प्रोजेक्टर का इस्तेमाल हुआ। विस्तृत परिचय दिया गया। इससे समझना आसान हुआ। ज्ञान सीधे दिल तक पहुंचा।

5. मुख्य वक्ता और संदेश: मुख्य वक्ता भास्कर कुमार वर्मे थे। उन्होंने बच्चों को एक यादगार mnemonic “S–S–S” बताया। इसका सीधा मतलब था:

  • S = Snake
  • S = Samay (समय)
  • S = Saans (सांस)

इससे ये समझ आता है। समय पर सांस को कंट्रोल करके। सही प्राथमिक उपचार मिल सकता है। यह संदेश सबसे आसान और प्रभावशाली साबित हुआ। ये जीवन बचाने का सूत्र बन गया।

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भाग 3: मीडिया कवरेज – सुर्खियां जो मायने रखती हैं! जब दुनिया ने इस नेक काम को सराहा, और प्रेरणा ली!

PRANYUS के इस नेक काम को। मीडिया में खूब कवरेज मिली है। मुख्य समाचार पत्रों ने इसे प्रकाशित किया।

1. नोदया विद्यालय में कार्यक्रम: नवोदय विद्यालय में PRANYUS के द्वारा। सर्पदंश जागरूकता एवं बचाव कार्यक्रम” हेडलाइन बनी। कक्षा VI से XII के छात्रों और शिक्षकों को। जागरूक किया गया।

2. जीवन बचाने की मुहिम: “20 लोगों की जान बचाकर। 5000 सांपों को सुरक्षित जंगल में छोड़ा” – ऐसी हेडलाइन भी बनी। यह अभियान पूरे साल लोगों और सांपों की। सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है।

3. विश्व सर्प दिवस पर जागरूकता: “विश्व सर्प दिवस पर लोगों को जागरूक किया गया”। वन विभाग और PRANYUS ने। साझा प्रयास किए। कार्यक्रमों में पढ़ाई के साथ संरक्षण संदेश भी था।

इन समाचारों से साफ होता है। PRANYUS का ये कार्यक्रम स्थायी है। प्रभावशाली है। महासांस्कृतिक स्तर पर सराहनीय रहा है।

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भाग 4: कार्यक्रम की रूप-रेखा – कैसे चलता है पूरा अभियान? एक सुनियोजित सेवा!

PRANYUS का अभियान बहुत व्यवस्थित है। हर कदम सोच-समझकर उठाया जाता है। ये सेवा का एक आदर्श मॉडल है।

1. आयोजन स्थल: स्कूल ऑडिटोरियम या हॉल में। या विद्यालय परिसर में। कार्यक्रम होते हैं।

2. सहभागी: छात्र (कक्षा VI–XII) भाग लेते हैं। शिक्षक और स्टाफ भी होते हैं। वनकर्मी भी शामिल होते हैं।

3. प्रस्तुति की सामग्री और शैली: सांपों की projector-based तस्वीरें दिखाई जाती हैं। जानकारी में विषैले vs गैर-विषैले सांपों का अंतर होता है। first aid और अंधविश्वास तोड़ने की बात होती है। सत्र में भाषण, Q&A और चित्र्रहित प्रस्तुतियां होती हैं।

4. यादगार ट्रिक: “S–S–S” mnemonic for time and breathing control। ये एक यादगार ट्रिक है। ये बच्चों को याद रहता है।

5. नेतृत्व: डॉ. विकास सिंह चंदेल का नेतृत्व रहता है। हर सत्र में उनका मार्गदर्शन मिलता है।

प्रत्येक सत्र के बाद। बच्चों, शिक्षकों और स्टाफ ने प्रश्न पूछे। कार्यक्रम में सक्रिय भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में। विद्यालय प्रशासन ने PRANYUS टीम का धन्यवाद किया। इस तरह का आयोजन आदिवासी बच्चों में डर कम करता है। जागरूकता को बढ़ाता है। उनकी सुरक्षा को स्थाई आधार देता है।


भाग 5: समुदाय में प्रभाव – जब जागरूकता जीवन बचाती है! ज्ञान का चमत्कार!

PRANYUS के अभियान का। समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

1. स्टूडेंट्स की प्रतिक्रियाएं: “पहले सांप देख कर डर लगता था।” अब पहचान आ गई है। “डर नहीं लगता।” ये बच्चों की सीधी बात है। उनके भीतर आया बदलाव है।

2. शिक्षकों की प्रतिक्रिया: “यह पहला ऐसा कार्यक्रम है।” जो सिर्फ़ जागरूकता नहीं देता। “बल्कि जीवन-रक्षक ज्ञान भी देता है।” शिक्षकों ने दिल से सराहा।

3. PRANYUS वरिष्ठों की संतुष्टि: “युवा शक्ति को सामाजिक ज़िम्मेदारी समझाने में।” यह अभियान मुख्य कारक रहा है। PRANYUS के वरिष्ठ संतुष्ट हैं।

इन प्रतिक्रियाओं से साफ पता चलता है। जानकारी और व्यवहारिक जागरूकता ने। सामाजिक स्तर पर। सकारात्मक परिवर्तन लाया है। ये बदलाव समाज को मजबूत करता है।


भाग 6: माओवादी क्षेत्रों एवं ज़िलों में व्यापक कार्य – हर कोने तक पहुँचने का संकल्प! सेवा की अखंड ज्योति!

PRANYUS ने सिर्फ़ अमरकंटक में ही नहीं। पूरे मैकाल हिल्स क्षेत्र में काम किया है।

1. विस्तार क्षेत्र: डिंडोरी, अनूपपुर, मंडला और शहडोल जिलों में। snake awareness camps हुए हैं।

2. वन विभाग का सहयोग: वन विभाग के सहयोग से। स्कूलों, पंचायतों, गाँवों में। सर्पदंश जोखिमों की जानकारी दी गई।

3. विशेष सत्र और रचनात्मकता: “World Snake Day” पर विशेष सत्र हुए। snake & ladder games हुए। अल्हा लोकगीतों का उपयोग किया गया। बच्चों और ग्रामीणों को जोड़ा गया। सीखने का तरीका दिलचस्प हुआ। प्रभावशाली भी हुआ।


भाग 7: सर्पदंश की समस्या – राष्ट्रीय और MP का परिप्रेक्ष्य! क्यों ये अभियान इतना ज़रूरी है? जीवन का संघर्ष!

सांपदंश एक बड़ी समस्या है। भारत में WHO की रिपोर्ट अनुसार। ये “neglected tropical disease” है।

1. राष्ट्रीय आंकड़े: प्रत्येक वर्ष अनुमानित 1.8–2.7 मिलियन मामले होते हैं। 81,000–1,37,000 लोगों की मृत्यु होती है। ये आंकड़े हृदयविदारक हैं।

2. मध्यप्रदेश में स्थिति: केवल मध्यप्रदेश में 2020–22 के बीच। राज्य सरकार ने ₹231 करोड़ मुआवजा दिया। 5,779 सांपदंश मौतें दर्ज थीं। सतना और सागर ज़्यादा प्रभावित थे।

इस वाक्ये को देखते हुए। PRANYUS का अभियान अत्यंत प्रासंगिक है। समयोचित भी है। क्योंकि ये जीवन रक्षा प्रयास करता है। मृत्यु को चुनौती देता है।


भाग 8: वैज्ञानिक दृष्टिकोण और best practices – सही ज्ञान, जीवन की सुरक्षा! अंधविश्वास का अंधकार मिटे!

कार्यक्रम में बच्चों को जानकारी दी गई। ये बहुत संवेदनशील थी।

1. विषैले सांपों की पहचान: Russell’s Viper, Cobra, Krait आदि विषैले सांप हैं। इनकी पहचान करना महत्वपूर्ण है।

2. यदि काटा जाए (प्राथमिक उपचार):

  • काटे हुए क्षेत्र को न काटा जाए। न टॉर्निकेट बांधा जाए।
  • प्रभावित व्यक्ति को शांत रखें। उसे स्थिर रखें।
  • समय पर हॉस्पिटल पहुंचना जरूरी। सांपदंश के “golden hours” (within 3 hours) हैं।

3. “S–S–S” mnemonic का महत्व: “S–S–S” mnemonic से सांस और समय की महत्ता बताई गई। ऐसे सटीक वैज्ञानिक निर्देश। सुरक्षा का सशक्त स्रोत बनते हैं। ये ज्ञान का प्रकाश है।


भाग 9: PRANYUS का समग्र मिशन: शिक्षा से पर्यावरण तक, एक समग्र विकास मॉडल! सेवा का महायज्ञ!

PRANYUS का अभियान सिर्फ़ सर्पदंश तक सीमित नहीं। ये व्यापक गतिविधियों का हिस्सा है।

1. शिक्षा: स्टूडेंट्स के लिए मुफ्त स्वामी विवेकानंद कोचिंग क्लासेस हैं। करियर काउंसलिंग भी मिलती है। नवोदय, मॉडल स्कूल, यूनिवर्सिटी प्रवेश में मदद करते हैं।

2. स्व-रोजगार: Mushroom cultivation training दी जाती है। 700+ आदिवासी किसान लाभान्वित हुए। 500 छात्र भी लाभान्हित हुए।

3. महिला स्वास्थ्य: “Mission Nirog Nari” अभियान चलता है। menstrual hygiene awareness campaigns होते हैं।

4. वातावरण संरक्षण: नदी-जंगल-जमीन (Jal-Jangal-Jamin) संरक्षण कार्यक्रम हैं। कपड़ा बैंक भी है। बस्ती में कपड़े वितरण होता है।

इस तरह का holistic tribal upliftment model। PRANYUS को राष्ट्रीय स्तर पर। आदर्श NGO बनाता है।


भाग 10: भविष्य की दिशा: विस्तार की संभावनाएँ

इस कार्यक्रम को और प्रभावी बनाने के लिए। प्रस्तावित कदम हैं।

1. साझेदारी: विद्यालयों, पंचायतों के साथ साझेदारी होगी। snake awareness modules हर जिले में हों।

2. जागरूकता सामग्री: दर्शक-फ्रेंडली snake & ladder games बनेंगे। अल्हा लोक-गीत, लोकनृत्य आधारित। जागरूकता सामग्री तैयार होगी।

3. संचार: क्षेत्रीय रेडियो, सोशल मीडिया में जानकारी। मोबाइल ऐप्स में तेजी से पहुँचाना है।

4. रेस्क्यू टीमें: Fast response snake rescue teams तैयार करना है। 24×7 हेल्पलाइन नंबर व्यवस्था होगी।

5. सहयोग: Forest Department और Public Health Authorities के साथ। tie-up करके। statistical tracking, case studies रिकॉर्ड करना है।


निष्कर्ष: PRANYUS का संदेश – जीवन बचाने का अभियान, युवा शक्ति का प्रतीक!

PRANYUS के snake awareness अभियान ने। आदिवासी युवाओं में डर खत्म किया है। आत्मनिर्भरता पैदा की है। यह केवल एक awareness-initiative नहीं। बल्कि, जीवन संरक्षण अभियान बन गया है।

उन्होंने बच्चों, शिक्षकों, ग्रामीण वर्ग और वनकर्मियों को। सामंजस्यपूर्ण रूप से जोड़ा है। सांपदंश जोखिम को। जीवन-रक्षक जानकारी में परिवर्तित किया है।

“हम सिर्फ सांपदंश की मौतें नहीं रोक रहे। बल्कि लोगों को विज्ञान, सुरक्षा, जागरूकता। और आत्मविश्वास से लैस कर रहे हैं।” — डॉ. विकास सिंह चंदेल।

यदि आप इस अभियान को समर्थन देना चाहते हैं। तो योगदान कर सकते हैं। स्वयंसेवक बन सकते हैं। स्थानीय स्कूल और पंचायतों से संपर्क कर सकते हैं। PRANYUS का संदेश है: “Power Youth, Save Lives” — और यह संदेश मध्यप्रदेश से निकलकर। पूरे देश में फैल सकता है।


❓ आपकी राय

क्या आपको लगता है कि PRANYUS का यह अभियान भारत के अन्य राज्यों में भी लागू होना चाहिए? आप इस तरह के सामुदायिक प्रयासों को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं?

नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं।

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