ताइवान पर चीनी खतरा बढ़ा: इनर मंगोलिया में ‘mock Taipei’ का विस्तार, युद्धाभ्यास के बहाने घिराव
Mock Taipei : बीजिंग और ताइपे के बीच बढ़ती तनातनी के बीच, चीन ने अपने सैन्य अभ्यास को तेज़ करते हुए इनर मंगोलिया के झुरिहे ट्रेनिंग बेस में ‘mock Taipei’– ताइवान के सरकारी भवनों की हूबहू प्रतिकृति – के विस्तार को और बड़ा कर दिया है। जापानी अखबार संकै शिंबुन और जापानी इंस्टिट्यूट फॉर नेशनल फंडामेंटल्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस विशाल सैन्य ज़ोन की सैटेलाइट तस्वीरें इस बात की पुष्टि करती हैं कि वर्ष 2020 से अब तक यह इलाका करीब तीन गुना बड़ा हो चुका है। यह विस्तार ताइवान पर आक्रमण की चीनी रणनीति को स्पष्ट संकेत देता है और पूरे क्षेत्र में चिंता को जन्म देता है.

मुख्य सरकारी इमारतों की प्रतिकृति, सैटेलाइट तस्वीरों में खुले राज
रिपोर्ट के अनुसार, सैटेलाइट चित्रों में यह देखा गया है कि यहां ताइवान के प्रेसिडेंशियल ऑफिस बिल्डिंग, जुडिशियल युआन, विदेश मंत्रालय और हाल ही में रक्षा मंत्रालय की रिजर्व कमांड जैसी महत्वपूर्ण इमारतों की हूबहू नकल बनाई गई है। ये भवन ना केवल सैन्य रणनीति का केंद्र हैं, बल्कि ताइवान के प्रशासन के प्रतीक चिह्न भी हैं.
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हाल ही में यहां 280 किलोमीटर लंबी एक ‘अंडरग्राउंड टनल’ बनाई गई है, जो मॉक प्रेसिडेंशियल ऑफिस बिल्डिंग को जुडिशियल युआन से जोड़ती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस टनल से चीन यह संदेश देना चाहता है कि ताइवान के शीर्ष नेता भूमिगत आश्रय स्थलों में भी छिप नहीं सकते।
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एक दशक पुराना सैन्य अभ्यास, अब और घातक
चीनी सेना PLA बीते कई वर्षों से इन प्रतिकृति इमारतों में युद्धाभ्यास करती आ रही है। वर्ष 2015 में ही, सरकारी चैनल सीसीटीवी ने एक विशेष प्रसारण में दिखाया था कि कैसे PLA के सैन्य दस्ते मॉक प्रेसिडेंशियल ऑफिस में प्रशिक्षण ले रहे थे। 2022 और 2023 की ताजा सैटेलाइट तस्वीरों में चीनी सैनिकों द्वारा सड़क अवरोधक लगाते, उन्हें हटाते और बख्तरबंद वाहनों के साथ शहरी युद्ध अभ्यास करते हुए भी देखा गया है।
इन अभ्यासों की निरंतरता यह दर्शाती है कि यह कोई दिखावा भर नहीं, बल्कि चीन की ‘रियलिस्टिक कॉम्बैट ट्रेनिंग’ यानी वास्तविक युद्ध की तैयारी का सिलसिला है। PLA द्वारा सड़क ब्लॉकेज, टैंक मूवमेंट, शहरी संघर्ष और अंधेरे में हमले जैसी रणनीतियों पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है.
शी जिनपिंग की रणनीति: युद्ध की वास्तविक तैयारी
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2012 से ही PLA के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर ‘वास्तविक युद्ध के लिए प्रशिक्षण’ का आह्वान करते रहे हैं। 2018 में आयोजित ‘प्रशिक्षण संचानलन बैठक’ में शी मिलिट्री ड्रेस में दिखे और उन्होंने सेना को वास्तविक जंग के लिए तैयार रहने का सीधा संदेश दिया। यह नीति आज के इन सैन्य अभ्यासों में ज़मीन पर नजर आ रही है.
यह विस्तार और तैयारी चीन की पुरानी नीति – ताइवान को बलपूर्वक नियंत्रण में लेने – की पुष्टि करते हैं। सैन्य रणनीति के अलावा यह दिखावटी युद्धाभ्यास ताइवान समेत दुनिया को मनोवैज्ञानिक दबाव में डालने का भी जरिया है। चीन अपनी शक्ति और तैयारी खुल्लमखुल्ला दुनिया के सामने ला रहा है, जिससे ताइवान के आत्मविश्वास और स्थिरता पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकें।
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ताइवान के लिए बढ़ी सजगता की ज़रूरत
इन हालात में, ताइवान के लिए खतरे की घंटी और तेज़ हो गई है। ताइपे के स्थानीय अखबार ताइपे टाइम्स के अनुसार, इनर मंगोलिया के भीतरी भाग में बने ‘mock Taipei’ की उपस्थिति चीन के इरादों की स्पष्ट झलक देती है कि वह सैन्य और मनोवैज्ञानिक दोनों स्तरों पर दबाव बनाना चाहता है। यह इलाका किसी भी संभावित युद्घ की तैयारी का संकेत देता है।
ताइवान के रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, चीन के ये अभ्यास वास्तविक आक्रमण की पूर्वसूचना और रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। सरकारी और सैन्य इमारतों की हूबहू नकल के साथ फुल-स्केल ट्रेनिंग, सुरंगों और बख्तरबंद दस्तों की आवाजाही, टनल ब्लास्टिंग, और शहरी संघर्ष की बारीकियां – ये सभी संकेत हैं कि चीन आक्रमण की हर संभावना का अभ्यास कर रहा है.
राजनीतिक व मनोवैज्ञानिक असर
इस तरह के अभ्यासों का क्षेत्रीय राजनीति और मनोबल पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ताइवान के नागरिक समाज और सेना पर निरंतर दबाव बनाये रखना चीन की रणनीति का अहम हिस्सा है। ये अभ्यास सार्वजनिक तौर पर चीनी मीडिया में दिखाए जाते हैं ताकि ताइवान के नागरिकों और सेना का आत्मबल प्रभावित हो सके।
विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन का यह प्रचार– अनुकूल माहौल बना कर ताइवान को मानसिक रूप से भी कमजोर करने का प्रयास – ताइवान और उसके सहयोगियों के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है।
चीन की ‘साइकोलॉजिकल वॉरफेयर’ नीति
मॉक ताइपे का निर्माण और विस्तार केवल सैन्य रणनीति तक सीमित नहीं है; यह मनोवैज्ञानिक युद्ध का भाग है। जब ताइवान के नागरिक दुनिया की मीडिया में अपनी राजधानी की प्रतिकृति के भीतर चीनी टैंक और सैनिकों को देखेंगे, तब उनमें भय और चिंताएं स्वाभाविक ही गहरी होंगी। यह प्रक्रिया ताइवान में राजनीतिक दबाव भी बढ़ाती है और मित्र देशों के आगे भी संकट की गंभीरता दिखाती है.
विश्व समुदाय और एशिया-प्रशांत की प्रतिक्रिया
जैसे-जैसे चीन अपने सैन्य मॉडल और अभ्यासों को विस्तार दे रहा है, वैस-वैसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में असंतुलन और तनाव की स्थितियां बन रही हैं। अमेरिका, जापान और अन्य पश्चिमी देशों ने बार-बार ताइवान स्ट्रेट में ‘शांति और स्थिरता’ की मांग की है। ऐसे में, चीन की घेराबंदी और शक्ति-प्रदर्शन इस क्षेत्र में जियोपॉलिटिकल संकट को और बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष: सतर्कता, रणनीति और भविष्य की चिंता
इनर मंगोलिया स्थित ‘mock Taipei’ न केवल चीन के विस्तारवादी इरादों की पुष्टि करता है, बल्कि ताइवान के लिए खतरे की घंटी को भी और तेज़ कर देता है। सैन्य अभ्यास, मनोवैज्ञानिक दबाव, हाइब्रिड वॉरफेयर और सशस्त्र घेराबंदी के मिले-जुले इस मॉडल से ताइवान, एशिया-प्रशांत और रहेगा दुनिया भर का ध्यान इस संवेदनशील मुद्दे पर केंद्रित है।
कुल मिलाकर, इन घटनाओं से स्पष्ट है कि चीन अब केवल खतरों की भाषा नहीं बोल रहा, बल्कि अपनी सैन्य, राजनैतिक और मानसिक तैयारियों को खुलेआम प्रदर्शित कर रहा है। इस बदलते माहौल में ताइवान को सतर्क रहना होगा और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत करना होगा, ताकि किसी भी आशंका या चुनौती से निपटने के लिए तैयार रह सके.


