यूरोप के प्रमुख हवाई अड्डों पर CYBERATTACK से उड़ानों में बड़े पैमाने पर व्यवधान
लंदन/बर्लिन/ब्रुसेल्स, 20 सितंबर 2025:-
असल में, यूरोप के प्रमुख हवाई अड्डों पर शुक्रवार रात को एक घातक CYBERATTACK हुआ, जिसने यात्री चेक-इन और बोर्डिंग प्रक्रियाओं का संचालन करने वाली प्रणालियों को भारी नुकसान पहुंचाया। इस हमले का मुख्य उद्देश्य Collins Aerospace के MUSE सॉफ़्टवेयर को निशाना बनाना था, जो कि कई यूरोपीय हवाई अड्डों पर जांच और बोर्डिंग की प्रक्रिया को संचालित करता है। इसके परिणामस्वरूप, लंदन का हीथ्रो एयरपोर्ट, बर्लिन ब्रांडेनबर्ग एयरपोर्ट और ब्रुसेल्स एयरपोर्ट सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। इसलिए, इस हमले ने न केवल कई उड़ानें प्रभावित कीं, बल्कि यात्रियों के लिए भी बड़ा असुविधाजनक माहौल उत्पन्न कर दिया।

घटना का विस्तार और प्रारंभिक प्रभाव : CYBERATTACK
दरअसल, साइबरअटैक शुक्रवार रात 19 सितंबर की देर शाम को हुआ, जब एक अज्ञात हैकर्स समूह ने Collins Aerospace के MUSE सॉफ्टवेयर में घुसपैठ की। यह सॉफ्टवेयर कई प्रमुख हवाई अड्डों पर स्वचालित चेक-इन, बैगेज ड्रॉप और बोर्डिंग प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालता है। इस हमले के तुरंत बाद, स्वचालित प्रणालियां पूरी तरह से बंद हो गईं, इसलिए हवाई अड्डों को मैनुअल (हाथ से) चेक-इन और बोर्डिंग प्रक्रियाएं अपनानी पड़ीं।
विशेष रूप से, लंदन हीथ्रो एयरपोर्ट पर, जो यूके का सबसे व्यस्त और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण हवाई अड्डा है, लगभग 129 उड़ानों में देरी और रद्दीकरण देखे गए। इसके अलावा, ब्रुसेल्स और बर्लिन एयरपोर्ट पर भी यही समस्याएं देखने को मिलीं, जहां यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा और उड़ानों की समय-सारणी में भारी व्यवधान आया।
इसके साथ ही, ब्रुसेल्स एयरपोर्ट ने आधिकारिक वेबसाइट पर कहा, “यह साइबरअटैक हमारी स्वचालित जांच-इन और बोर्डिंग प्रणाली को प्रभावित करता है, जिसके कारण केवल मैनुअल प्रक्रिया ही संभव है। इसके फलस्वरूप यात्रा प्रभावित हो रही है।” वहीं, बर्लिन ब्रांडेनबर्ग एयरपोर्ट ने भी तकनीकी समस्या की पुष्टि करते हुए बताया कि चेक-इन पर सामान्य से अधिक समय लग रहा है, हालांकि वे जल्द समाधान के लिए काम कर रहे हैं।
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Collins Aerospace की भूमिका और प्रतिक्रिया
Collins Aerospace, जो RTX Corporation की सहायक कंपनी है, ने इस साइबरअटैक को स्वीकार किया है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने MUSE सॉफ्टवेयर में तकनीकी गड़बड़ी पाई है, जो साइबर सुरक्षा से संबंधित है। उन्होंने यह भी बताया, “हम फिलहाल सिस्टम को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं। मैनुअल प्रक्रिया से स्थिति को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा रहा है।”
इसी तरह, Collins Aerospace ने सुरक्षा को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की टीम तैनात की है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने आश्वासन दिया कि वे शीघ्र ही पूरी प्रणाली को सामान्य रूप से पुनर्स्थापित करेंगे।
एयरपोर्ट प्रबंधन और यात्रियों की स्थिति
आधिकारिक तौर पर, प्रभावित एयरपोर्टों ने यात्रियों को जानकारी देते हुए इस स्थिति के प्रति सचेत किया और उन्हें सलाह दी कि वे अपनी उड़ान की स्थिति पहले से जांच लें तथा एयरपोर्ट पर समय से पूर्व पहुंचें।
- लंदन हीथ्रो एयरपोर्ट: यात्रियों को सुझाव दिया गया कि वे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए तीन घंटे पहले और घरेलू उड़ानों के लिए कम से कम दो घंटे पहले एयरपोर्ट पर पहुंचें। इसके अलावा, अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया गया है ताकि मैनुअल प्रक्रिया में यात्रियों की बेहतर सहायता हो सके।
- बर्लिन ब्रांडेनबर्ग एयरपोर्ट: यहां चेक-इन और बोर्डिंग के लिए पूरी तरह से मैनुअल प्रक्रिया अपनाई गई है, जिससे यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा। इसके बावजूद एयरपोर्ट प्रबंधन ने कहा कि वे समस्या के समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
- ब्रुसेल्स एयरपोर्ट: यहां भी मैन्युअल प्रक्रिया अपनाई गई है, जिसके कारण उड़ानों में देरी और रद्दीकरण होने की संभावना बनी हुई है। यात्रियों से लगातार अपनी उड़ान की स्थिति जांचते रहने को कहा गया है।
सारांश में, हवाई अड्डों ने यात्रियों से आह्वान किया है कि वे हड़बड़ी से काम लें और केवल आवश्यक होने पर ही एयरपोर्ट आएं ताकि भीड़ कम हो।
तीसरे पक्ष के सर्विस प्रोवाइडर और CYBER SECURITY का जोखिम
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना स्पष्ट रूप से एविएशन सेक्टर की तीसरे पक्ष के सर्विस प्रोवाइडर पर निर्भरता की कमजोरी को उजागर करती है। क्योंकि Collins Aerospace जैसी कंपनियां कई हवाई अड्डों और एयरलाइंस के लिए चेक-इन और बोर्डिंग सेवा प्रदान करती हैं, इसलिए यदि उनकी सिस्टम में सेंध लगती है, तो इसका असर व्यापक होता है।
इसी कारण, विभिन्न साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ इस घटना को आधुनिक एयर ट्रैवल की एक चेतावनी कहते हैं। उन्होंने जोर दिया है कि न केवल कड़े सुरक्षा उपाय बनने चाहिए, बल्कि नियमित प्रशिक्षण और आपातकालीन योजना की भी आवश्यकता है।
वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि:
- अपनी तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुरक्षा मूल्यांकन नियमित रूप से किया जाए।
- तीसरे पक्ष के सर्विस प्रोवाइडर की सुरक्षा मानकों की सख्ती से पड़ताल की जाए।
- आपातकाल में मैनुअल संचालन के लिए बेहतर और तेज योजनाएं बनायीं जाएं।
- साइबर सुरक्षा टीमों को जोखिम प्रबंधन और निगरानी में कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
इन प्रयासों से ही भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति को रोका जा सकता है।
CYBERATTACK का व्यापक प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां
इसके अलावा, यह CYBERATTACK केवल तीन प्रमुख हवाई अड्डों तक सीमित नहीं रहा। यूरोप के कई अन्य एयरपोर्टों ने भी तकनीकी समस्याएं झेलीं, जिससे एयरलाइंस के ऑपरेशन प्रभावित हुए। हालांकि, विशेष रूप से फ्रैंकफर्ट और ज्यूरिख एयरपोर्ट ने खुद को इस हमले से बचाया।
इसलिए, विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इस तरह के साइबर हमलों की संख्या बढ़ सकती है, और विमानन क्षेत्र को अधिक ठोस, सुरक्षित एवं पारदर्शी साइबर सुरक्षा ढांचा अपनाना होगा। इसके साथ ही यात्रियों के डेटा और गोपनीयता की सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी।
यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
अंततः, यात्रियों को यह सलाह दी जाती है कि:
- अपनी उड़ान की वास्तविक स्थिति नियमित रूप से जांचें।
- एयरपोर्ट पर सामान्य से अधिक समय पहले पहुंचें क्योंकि मैनुअल चेक-इन प्रक्रिया समय ले सकती है।
- देरी और रद्दीकरण की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए धैर्य रखें।
- केवल आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लें और अफवाहों से बचें।
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निष्कर्ष
अंततः, 20 सितंबर 2025 को हुए इस साइबरअटैक ने आधुनिक एविएशन सिस्टम की कमजोरियों को उजागर किया है। यह घटना दर्शाती है कि बिना कड़े साइबर सुरक्षा उपायों के हवाई यात्रा असुरक्षित हो सकती है। Collins Aerospace पर हुए इस हमले ने पूरे यूरोप के हवाई अड्डों के संचालन को प्रभावित किया तथा यात्रियों के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
इसलिए, अब हवाई अड्डों और एयरलाइंस को अपनी तकनीकी सुरक्षा में सुधार करना अति आवश्यक है, जिससे ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। यात्रियों को भी इस प्रकार के व्यवधान में धैर्य बनाए रखना चाहिए और आधिकारिक सूचनाओं पर ही विश्वास करना चाहिए।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि भविष्य में सुरक्षित और भरोसेमंद विमानन यात्रा के लिए साइबर सुरक्षा पर सतत ध्यान देना अनिवार्य है।


