GST 2.0: पीएम मोदी ने कहा ‘राष्ट्र के विकास के लिए डबल डोज़ सपोर्ट’, टैक्स सुधारों का नया अध्याय शुरू

NEW DELHI GST 2.0: केंद्र सरकार की तरफ से ‘दीवाली बोनान्ज़ा’ के वादे को पूरा करते हुए, जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) परिषद ने 4 सितंबर, 2025 को अपनी 56वीं बैठक में भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव को मंजूरी दे दी है। इस व्यापक सुधार को “जीएसटी 2.0” नाम दिया गया है, जो 2017 में लागू हुए मूल जीएसटी कानून का एक रणनीतिक विकास है। इसका उद्देश्य कर ढांचे को सरल बनाना, प्रणालीगत कमियों को दूर करना और वैश्विक अनिश्चितता के दौर में घरेलू आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
Consequently, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में ही “जीएसटी के एक बड़े सुधार” का संकेत दिया था, जिसे उन्होंने “दिवाली के लिए एक बहुत बड़ा उपहार” कहा था। जीएसटी परिषद द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए ये निर्णय, जो 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी होंगे, इसी वादे को पूरा करते हैं। पीएम मोदी ने इन सुधारों की सराहना करते हुए कहा कि यह “राष्ट्र के विकास के लिए डबल डोज़ सपोर्ट” है, जो आम आदमी के जीवन को आसान बनाएगा और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगा।
In a related development, इन सुधारों का मुख्य केंद्रबिंदु पिछली चार-स्लैब वाली जीएसटी संरचना (5%, 12%, 18% और 28%) को एक सरल दो-स्तरीय प्रणाली में बदलना है। अब अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के लिए केवल दो मुख्य दरें होंगी: आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के लिए 5% की “मेरिट रेट” और अन्य सभी वस्तुओं के लिए 18% की “स्टैंडर्ड रेट”। इसके साथ ही, विलासिता और ‘पाप’ (sin) वाली वस्तुओं के लिए 40% की एक नई “डीमेरिट रेट” भी पेश की गई है। यह संरचनात्मक सरलीकरण प्रशासनिक और प्रक्रियागत सुधारों के साथ-साथ किया गया है, जिसका उद्देश्य व्यवसायों, विशेषकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए अनुपालन बोझ को कम करना है।
Click here to read news from TOI.
दैनिक जीवन पर सीधा असर: आम आदमी को मिली बड़ी राहत
इस सुधार का सबसे बड़ा और सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा। दैनिक उपयोग की लगभग 400 वस्तुएं और सेवाएं अब कम दरों पर उपलब्ध होंगी, जिससे परिवारों के मासिक बजट में महत्वपूर्ण बचत होगी। जीएसटी दरों में कटौती का सीधा असर रोजमर्रा के सामान पर पड़ेगा, जिससे महंगाई पर भी लगाम लगने की उम्मीद है।
For example, दैनिक उपयोग की वस्तुएं और FMCG
- हेयर ऑयल, शैंपू, टूथपेस्ट, साबुन: 18% से घटकर 5% हो गया है, जिससे रोजमर्रा के ये सामान काफी सस्ते हो जाएंगे।
- घी, मेवे, नमकीन और पैकेज्ड स्नैक्स: 12% से घटकर 5% हो गया है।
- अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर (UHT) दूध, पनीर, भारतीय ब्रेड (रोटी, पराठा और खखरा): इन आवश्यक खाद्य पदार्थों को 5% से पूर्ण रूप से टैक्स-फ्री (0%) कर दिया गया है।
- पेय पदार्थ (सोया मिल्क ड्रिंक्स): 12% से घटकर 5% हो गया है।
मिडिल क्लास को राहत: घर के सामान और वाहनों पर टैक्स में कटौती
Furthermore, यह सुधार केवल दैनिक उपयोग की वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (consumer durables) और वाहनों की मांग को भी बढ़ाना है, जो अक्सर महंगे टैक्स के कारण प्रभावित होते थे।
For instance, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं और इलेक्ट्रॉनिक्स
- एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, टीवी, डिशवॉशर और वॉशिंग मशीन: 28% से घटकर 18% हो गया है। यह विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में मांग बढ़ाने में मदद करेगा।
- छोटे वाहन (पेट्रोल <1200cc, डीजल <1500cc): 28% से घटकर 18% हो गया है।
- मोटरसाइकिल (<350cc): 28% से घटकर 18% हो गया है।
Click here to more news from our website.
स्वास्थ्य और कल्याण: बीमा और दवाओं पर बड़ी छूट
Notably, जीएसटी 2.0 के सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक, व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को 18% से घटाकर पूर्ण रूप से माफ (0%) करना है। यह एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे देश में वित्तीय सुरक्षा की पहुंच बढ़ेगी, जहां एक-चौथाई से भी कम आबादी के पास निजी स्वास्थ्य कवरेज है।
In this context, स्वास्थ्य और बीमा क्षेत्र
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम: 18% से घटकर 0% हो गया है।
- जीवन रक्षक दवाएं: 12% से घटकर 5% या 0% हो गया है।
- चिकित्सा उपकरण, सर्जिकल उपकरण और चश्मे: 12% से 18% के बीच दरों को घटाकर 5% कर दिया गया है।
- जिम, सैलून, नाई और योग केंद्र: 18% से घटकर 5% हो गया है।
- होटल में रुकना (किराया < ₹7,500 प्रति दिन): 12% से घटकर 5% हो गया है।
व्यापार और उद्योग: अनुपालन में सरलता और बढ़ी प्रतिस्पर्धा
From a business perspective, जीएसटी दरों में कमी का सीधा असर उद्योगों पर भी पड़ेगा। इससे विनिर्माण लागत घटेगी और भारतीय व्यवसायों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। ऑटोमोबाइल उद्योग और निर्माण क्षेत्र के लिए यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
Specifically, ऑटोमोबाइल और परिवहन
- बस, ट्रक और ऑटो पार्ट्स: 28% से घटकर 18% हो गया है। उद्योग विशेषज्ञों ने इसे एक “विकास-समर्थक कदम” बताया है जो लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेगा।
- बड़े और लग्जरी वाहन (>1500cc या >4000mm): 28% प्लस सेस से बढ़कर 40% हो गया है, जो अब नई डीमेरिट कैटेगरी में हैं।
Similarly, निर्माण और रियल एस्टेट
- सीमेंट: 28% से घटकर 18% हो गया है। यह रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत है, जिससे मकान और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट सस्ते होंगे।
- टायर्स और ऑटो पार्ट्स: 18% से घटकर 5% हो गया है।
उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था पर टैक्स का नया बोझ
However, जीएसटी परिषद के निर्णयों ने भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए भी स्पष्टता और एक नया कर बोझ पेश किया है। क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र के लिए, एक महत्वपूर्ण विकास यह है कि सभी ट्रेडिंग और सेवा शुल्क पर 18% जीएसटी लगाया गया है। सरकार ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को जीएसटी अधिनियम के तहत “सामान” के रूप में वर्गीकृत किया है, जो इस कराधान का कानूनी आधार प्रदान करता है।
Additionally, डिजिटल अर्थव्यवस्था
- क्रिप्टो ट्रेडिंग शुल्क, गेमिंग, बेटिंग: ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग, कैसीनो, रेस क्लब, लॉटरी और सट्टेबाजी पर जीएसटी दर 28% से बढ़कर 40% कर दी गई है। यह कदम इन गतिविधियों को स्पष्ट रूप से ‘पाप वस्तुओं’ की श्रेणी में रखता है।
- कोयला: 5% से बढ़कर 18% हो गया है।
प्रशासनिक और अनुपालन सुधार: व्यापार में सुगमता
GST 2.0 सुधार केवल दरों के बारे में नहीं हैं। इनमें प्रशासनिक और प्रक्रियागत बदलावों की एक श्रृंखला भी शामिल है, जो व्यापार करने में आसानी को बढ़ाती है। यह दृष्टिकोण दोहरी रणनीति का प्रतिनिधित्व करता है: छोटे व्यवसायों को सहायता देना और साथ ही कर चोरी को रोकने के लिए सख्ती और प्रवर्तन को बढ़ाना।
For instance, छोटे व्यवसायों के लिए आसानी
- सरलीकृत जीएसटी पंजीकरण योजना: कम जोखिम वाले व्यवसायों को तीन कार्य दिवसों के भीतर पंजीकरण दिया जाएगा। इससे लगभग 96% नए आवेदकों को लाभ होगा।
- निर्यातकों के लिए रिफंड: निर्यातकों के लिए एक सरल रिफंड तंत्र पेश किया गया है, जो कार्यशील पूंजी की तेजी से वापसी सुनिश्चित करेगा, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
On the other hand, शासन और अनुपालन में वृद्धि
- मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA): 1 अप्रैल, 2025 से सभी करदाताओं के लिए ई-वे बिल और ई-चालान प्रणालियों में लॉग इन करने के लिए अनिवार्य MFA लागू किया गया है।
- GST R -3B ऑटो-पॉपुलेशन: 1 जुलाई, 2025 से, जीएसटीआर-3बी रिटर्न में ऑटो-पॉपुलेटेड बाहरी कर देनदारी गैर-संपादन योग्य हो जाएगी। इसका मतलब है कि जीएसटीआर-1 में डेटा की सटीकता बेहद महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि त्रुटियों को जीएसटीआर-3बी में मैन्युअल रूप से ठीक नहीं किया जा सकेगा।
- ई-चालान रिपोर्टिंग: ₹10 करोड़ से अधिक के वार्षिक कुल कारोबार (AATO) वाले व्यवसायों के लिए ई-चालान की रिपोर्टिंग की 30 दिन की समय सीमा बढ़ा दी गई है।
In addition to that, इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) पंजीकरण: 1 अप्रैल, 2025 से, एक ही पैन के तहत कई जीएसटी पंजीकरण वाले संगठनों के लिए ISD पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इस बदलाव के लिए व्यवसायों को अपने विभिन्न इकाइयों में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) वितरित करने के लिए ISD चालान जारी करने और जीएसटीआर-6 रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होगी।
व्यापक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
GST 2.0 सुधार केवल एक राजकोषीय अभ्यास नहीं हैं, बल्कि एक रणनीतिक व्यापक आर्थिक नीतिगत हस्तक्षेप है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। इनका प्रभाव तत्काल मूल्य परिवर्तनों से परे होगा, संरचनात्मक बदलावों को उत्प्रेरित करेगा और आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक दिशा को आकार देगा।
Consequently, इन सुधारों का उद्देश्य घरेलू खर्च को प्रोत्साहित करना है। चूंकि जीएसटी कटौती उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बास्केट के लगभग 8.5% को प्रभावित करती है, इसलिए इनसे मुद्रास्फीति पर भी नीचे की ओर दबाव पड़ने की उम्मीद है। विश्लेषकों का अनुमान है कि ये सुधार वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि में अनुमानित 0.2-0.3% की वृद्धि करेंगे।
Furthermore, राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव के अनुसार, इस प्रस्ताव का अनुमानित राजस्व प्रभाव ₹48,000 करोड़ है, जिसे वे “शुद्ध राजस्व निहितार्थ” कहते हैं, न कि नुकसान। दीर्घकालिक धारणा यह है कि खपत में वृद्धि और अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण से कर आधार का विस्तार होगा, जिससे अंततः पिछले राजस्व संग्रह स्तरों की भरपाई होगी और उससे भी आगे निकल जाएगा।
In conclusion, उद्योग जगत के नेताओं और अर्थशास्त्रियों ने इन जीएसटी सुधारों का बड़े पैमाने पर स्वागत किया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) जैसे उद्योग निकायों ने इन फैसलों को “ऐतिहासिक” बताया है, इस बात पर जोर दिया है कि सरलीकृत संरचना से अनुपालन में आसानी होगी, मुकदमेबाजी कम होगी, और व्यवसायों को भविष्य की योजना बनाने के लिए आवश्यक पूर्वानुमान मिलेगा।
अंततः, GST 2.0 सुधार भारत की आर्थिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये निर्णय एक ऐसी कर व्यवस्था बनाने के लिए जीएसटी परिषद के सदस्यों के बीच एक रणनीतिक और सर्वसम्मत सहमति को दर्शाते हैं जो सरल, निष्पक्ष और अधिक विकास-उन्मुख है। दरों को युक्तिसंगत बनाकर, वस्तुओं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला पर दरों को कम करके, और महत्वपूर्ण प्रशासनिक सरलीकरण पेश करके, सरकार ने एक अधिक पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और खपत-संचालित अर्थव्यवस्था की नींव रखी है। यह एक साहसिक, दूरदर्शी नीति है जो बाहरी आर्थिक दबावों और लंबे समय से चली आ रही घरेलू मांगों दोनों को संबोधित करती है। ऐसा करके, इसने न केवल राष्ट्र से किए गए एक प्रमुख वादे को पूरा किया है, बल्कि भारत की कर व्यवस्था को लचीलेपन और समृद्धि के एक नए मार्ग पर भी स्थापित किया है।


