PM MODI की ‘मिलनसार’ यात्रा: दुनिया के हर कोने में भारतीयता का रंग बिखेरते हुए (2-9 जुलाई 2025) :
भारत के PM MODI आज (2 जुलाई 2025) सुबह दिल्ली से एक ऐसी यात्रा पर निकले हैं, जो महज हवाई जहाज़ में तय की जाने वाली दूरियां नहीं है, बल्कि भावनाओं, आशाओं और अटूट विश्वास से बुना एक अदृश्य पुल है. अगले आठ दिनों तक, उनका यह सफर सिर्फ देशों की राजधानियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि लोगों के दिलों तक पहुंचेगा, उनकी कहानियों को सुनेगा और भारत के साथ उनके साझा सपनों को फिर से संजोएगा. घाना की जीवंत धड़कन से लेकर त्रिनिदाद और टोबैगो के नीले समंदर तक, अर्जेंटीना के सुनहरे खेतों से लेकर ब्राजील के हरे-भरे जंगल की गहराई तक, और नामीबिया के शांत, प्राचीन परिदृश्यों तक – यह मोदी जी की दुनिया के हर कोने में ‘हम एक परिवार हैं’ के भारतीय संदेश को जीवंत करने की एक अनूठी पहल है. यह एक यात्रा है जहाँ हाथ मिलेंगे, आँखें मिलेंगी, और एक बेहतर, अधिक जुड़े हुए भविष्य के लिए सामूहिक संकल्प लिया जाएगा.

घाना (2-3 जुलाई): पुरानी यादों की ताज़ी हवा
जब कोई अपना, जिसे आपने तीस साल से नहीं देखा, अचानक आपके दरवाजे पर आ जाए तो कैसा लगता है? प्रधानमंत्री मोदी का घाना दौरा ठीक ऐसा ही है. तीन दशकों के लंबे इंतजार के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का घाना आना, सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्कि एक पुराने रिश्ते में फिर से जान फूंकने जैसा है. वहां के राष्ट्रपति नाना अकुफो-आड्डो से उनकी मुलाकात महज दो नेताओं की नहीं, बल्कि दो देशों की सदियों पुरानी दोस्ती को फिर से जीने जैसी होगी. ऊर्जा, स्वास्थ्य, रक्षा और डिजिटल टेक्नोलॉजी पर बात करते हुए, मोदी जी यह संदेश देंगे कि भारत घाना के साथ सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि उसके भविष्य में सच्ची साझेदारी चाहता है – जैसे एक बड़ा भाई अपने छोटे भाई का हाथ थामता है. घाना की संसद में जब मोदी जी बोलेंगे, तो उनके शब्द सिर्फ कूटनीति नहीं होंगे, बल्कि भारत और अफ्रीका के बीच साझा संघर्षों, समान सपनों और अटूट विश्वास की एक मार्मिक कहानी होगी. घाना के सोने या बॉक्साइट में निवेश की बात करते हुए, मोदी जी यह भरोसा दिलाएंगे कि भारत सिर्फ संसाधनों को लेने नहीं आया है, बल्कि घाना के लोगों की जिंदगी में खुशहाली और समृद्धि लाने आया है – स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी, खेतों में हरियाली आएगी. यह यात्रा अफ्रीका के साथ भारत के संबंधों में एक नई जान फूंकेगी, एक ऐसा रिश्ता जो दिलों से जुड़ा है.
त्रिनिदाद और टोबैगो (3-4 जुलाई): कैरिबियन में अपनी मिट्टी की खुशबू
1999 के बाद त्रिनिदाद और टोबैगो की यह यात्रा सिर्फ भूगोल की दूरियों को मिटाने वाली नहीं है, बल्कि हजारों मील दूर बसे उन भारतीय मूल के लोगों के दिलों को छूने वाली है, जिन्होंने अपनी मिट्टी की खुशबू को पीढ़ियों से संजोकर रखा है. जब प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगलू और प्रधानमंत्री कमला पर्सड-बिसेसर से मिलेंगे, तो यह सिर्फ राजनयिक वार्ता नहीं होगी, बल्कि एक कैरिबियन परिवार के साथ भारत के भावनात्मक बंधन को और मजबूत करने का संकल्प होगा. सबसे दिल को छू लेने वाला पल तब आएगा जब वह भारतीय मूल के विशाल समुदाय को संबोधित करेंगे. उनके शब्द सिर्फ भाषण नहीं होंगे, बल्कि अपनी धरती, अपनी संस्कृति और अपनी विरासत को सहेजे हुए प्रवासी भारतीयों के लिए एक पिता तुल्य नेता का आशीर्वाद और स्नेह होगा. यह एक ऐसा पल होगा जब दूर बैठे भारतीय अपनेपन का अहसास करेंगे. पेट्रोकेमिकल, ऊर्जा और फार्मा सेक्टर में निवेश की बात करते हुए, भारत यह संदेश देगा कि वह सिर्फ अपने लोगों से ही नहीं, बल्कि इस जीवंत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था से भी गहराई से जुड़ना चाहता है, कैरिबियन देशों के साथ मिलकर एक ऐसी साझेदारी बनाना चाहता है, जहां संस्कृति और व्यापार साथ-साथ बढ़ें, और कोई भी खुद को अकेला महसूस न करे.
अर्जेंटीना (4-5 जुलाई): 57 साल बाद एक नई शुरुआत, नए सपने — PM MODI
57 सालों बाद किसी पुराने, खास दोस्त से मिलने जा रहे हैं, जिससे वक़्त और हालात ने दूरी बना दी थी. प्रधानमंत्री मोदी का अर्जेंटीना दौरा कुछ ऐसा ही है. राष्ट्रपति जावियर मिली के साथ उनकी बैठक, केवल दो राष्ट्रपतियों की नहीं, बल्कि दो शक्तिशाली, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की साझा आकांक्षाओं का एक नया अध्याय होगा. यहां बात सिर्फ लिथियम, कृषि, रक्षा और फार्मा सेक्टर में साझेदारी की नहीं होगी, बल्कि भारत के भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा की होगी – कैसे अर्जेंटीना के विशाल लिथियम भंडार भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों के सपने को पंख दे सकते हैं, और कैसे दोनों देश मिलकर एक स्वच्छ भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं. व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ मीटिंग का उद्देश्य स्पष्ट है: भारत की लिथियम आपूर्ति श्रृंखला को दक्षिण अमेरिका से जोड़ना, ताकि हम भविष्य की ऊर्जा चुनौतियों के लिए तैयार रहें, और किसी पर निर्भर न रहें. रक्षा उत्पादन सहयोग और ब्रिक्स के माध्यम से बहुपक्षीय रणनीति को बढ़ाना, यह दर्शाता है कि भारत अर्जेंटीना को सिर्फ एक व्यापारिक साझेदार नहीं, बल्कि एक सच्चा रणनीतिक सहयोगी मानता है, जो एक बहुध्रुवीय विश्व में भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकता है, और साथ मिलकर विश्व को एक नई दिशा दे सकता है.

ब्राजील (5-8 जुलाई): ब्रिक्स के मंच पर एक ‘विश्व बंधु’ की आवाज़ – PM MODI
ब्राजील में पीएम मोदी का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होना, उनकी इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है. यहां वे सिर्फ एक राष्ट्राध्यक्ष नहीं होंगे, बल्कि ग्लोबल साउथ की एक सशक्त आवाज़ और एक दूरदर्शी नेता के रूप में अपनी बात रखेंगे, सबके सामने. “Inclusive Growth and Shared Prosperity” की थीम पर केंद्रित यह सम्मेलन, वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और संयुक्त राष्ट्र सुधारों जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखने का मंच होगा, जहां उनकी बात को पूरी गंभीरता से सुना जाएगा. राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता, दोनों देशों के बीच पहले से ही मजबूत संबंधों को और गहरा करेगी, जैसे दो पुराने दोस्त मिलकर आगे के रास्ते तय करते हैं. वैश्विक गवर्नेंस सुधार और ब्रिक्स विस्तार जैसे विषयों पर चर्चा करते हुए, भारत यह संदेश देगा कि वह एक ऐसी विश्व व्यवस्था चाहता है जो समावेशी हो, न्यायसंगत हो और जिसमें हर देश की आवाज़ को सम्मान मिले, चाहे वह छोटा हो या बड़ा. कृषि, रक्षा और स्टार्टअप क्षेत्रों में भारत-ब्राजील के बीच सहयोग बढ़ाना, सिर्फ आर्थिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि आपसी नवाचार और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए होगा, जो दोनों देशों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, और विश्व को दिखाएगा कि कैसे मिलकर काम करने से भविष्य उज्ज्वल होता है.
नामीबिया (9 जुलाई): चीतों से जुड़ा एक अनमोल रिश्ता
नामीबिया, प्रधानमंत्री मोदी का पहला दौरा, और भारत का तीसरा पीएम स्तर का दौरा. यह यात्रा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रकृति, वन्यजीव संरक्षण और मानवीय करुणा के एक गहरे, अनूठे जुड़ाव का प्रतीक है. राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नांडी-नडैतवाह से मुलाकात के दौरान चीता परियोजना पर चर्चा होगी – वही परियोजना जिसने भारत में चीतों को फिर से बसाया है, और जो नामीबिया के साथ भारत के गहरे, भावनात्मक संबंधों का एक जीवंत उदाहरण है. यह दिखाता है कि कैसे दो देश सिर्फ व्यापारिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि पृथ्वी और उसके प्राणियों के साझा भविष्य के लिए भी साथ आ सकते हैं, एक दूसरे का हाथ थाम सकते हैं. रक्षा, खनन और ऊर्जा सहयोग पर बात करते हुए, भारत नामीबिया से ऊर्जा और खनिज आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ेगा, जिससे उसकी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी, और वह आत्मनिर्भर बन सकेगा. यह अफ्रीका के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा, जो सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि समानता और सम्मान पर आधारित है. यह यात्रा यह दर्शाएगी कि भारत सिर्फ अपने विकास के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के पर्यावरणीय संतुलन और साझा विरासत की सुरक्षा के लिए भी दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है, जैसे एक बड़ा परिवार खड़ा रहता है.
इस यात्रा का समग्र महत्व: एक ‘मिलनसार’ विश्व बनाने का सपना
प्रधानमंत्री मोदी की यह पांच देशों की यात्रा केवल एक कूटनीतिक दौरा नहीं, बल्कि एक गहरे मानवीय संवाद का हिस्सा है, एक ऐसा संवाद जो दिलों को जोड़ता है. यह दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया के हर कोने से भावनात्मक रूप से जुड़ना चाहता है, समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहता है और साझा समृद्धि की दिशा में काम करना चाहता है, सबको साथ लेकर चलना चाहता है:
- यह भारत की ‘ग्लोबल साउथ’ रणनीति को एक मानवीय चेहरा देती है, जहां भारत स्वयं को एक ‘बड़े भाई’ के बजाय एक ‘सच्चे दोस्त’ और ‘साथी’ के रूप में प्रस्तुत करता है.
- यह सिर्फ लिथियम और खनिजों की तलाश नहीं है, बल्कि भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा के लिए विश्वास और सहयोग की एक अटूट नींव रखना है, एक ऐसा आधार जिस पर हम सब मिलकर खड़े हो सकें.
- यह डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप को सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रखता, बल्कि वैश्विक नवाचार और मानवीय प्रगति के लिए दरवाजे खोलता है, ताकि ज्ञान और तकनीक सब तक पहुंचे.
- यह ब्रिक्स और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भारत की भूमिका को सिर्फ एक सदस्य के रूप में नहीं, बल्कि एक सक्रिय भागीदार और नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करता है, जो सभी की भलाई चाहता है, सबका साथ, सबका विकास.
- सबसे बढ़कर, यह भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव है, जिससे भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को एक नई ऊंचाई मिलती है – यह बताता है कि आप दुनिया के किसी भी कोने में हों, भारत हमेशा आपके साथ है, आपका घर हमेशा यहीं है.
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निष्कर्ष: एक नए अध्याय की शुरुआत, जहाँ हर दिल मिलता है
प्रधानमंत्री मोदी का यह पांच देशों का दौरा, निःसंदेह, भारत की विदेश नीति में एक नया, मानवीय अध्याय लिखेगा. यह केवल समझौतों और घोषणाओं का पुलिंदा नहीं, बल्कि विश्वास, सहयोग और मानवता के साझा भविष्य की ओर बढ़ता हुआ एक सशक्त कदम है. यह यात्रा भारत की ऊर्जा सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और रणनीतिक साझेदारियों में नए आयाम जोड़ेगी, और यह संदेश देगी कि भारत एक ऐसे विश्व का निर्माण करना चाहता है जहाँ हर देश की गरिमा हो, हर आवाज सुनी जाए और हर सपने को साकार करने का अवसर मिले. यह ‘न्यू इंडिया’ की बढ़ती वैश्विक भूमिका का एक जीवंत प्रमाण है, जो सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए बेहतर भविष्य की कल्पना करता है – एक ऐसा भविष्य जहाँ हम सब एक बड़ा, खुशहाल परिवार हैं, और एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ते हैं.